माता मैणादे को पर्चा
भादवे की दूज को रामदेवजी ने जब अवतार लिया तब अजमल जी रानी मेंणावती को यह समाचार सुनाने हेतु गये । रानी ने आकर देखा तो पालने में दो बालक, एक तो वीरमदेव जिन्होंने माता मैणादे की गर्भ से जन्म लिया था और एक रामदेव सो रहे थे । यह देख
माता मैणादे मन ही मन चिंता में पड़ गयी । वे इसे प्रभु की लीला को न समझ कर कोई जादू-टोना समझने लगी । उसी समय बालक रामदेव ने रसोईघर में उफन रहे दूध को शांत करवा कर माता मैणादे को अपनी लीला दिखाई और माता का संशय समाप्त हो गया,उन्होंने ख़ुशी से रामदेव को अपनी गोद में ले लिया ।
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