शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

भाणु को जीवित जीवित किया


भाणु को जीवित करना, पर्चा

जिस रात अमरकोट में रामदेव जी का विवाह हुआ, उसी रात को सुगना बाई के पुत्र की सांप के काटने से मृत्यु हो गयी । अन्तर्यामी भगवान रामदेव जी ने सुगना के दुःख को जान लिया और नेतलदे रानी एवं बारात सहित प्रातः से पूर्व वापिस पहुँच गये । विवाह के मांगलिक

अवसर पर विघ्न न डालने के लिए सुगना बाई ने अपने मरे पुत्र के बारे में किसी को भी नहीं बताया । रामदेव जी व पानी नेतलदे को बढाने के लिए जब सुगना नहीं आई तो रामदेव जी ने सुगना को बुलाया और उसकी उदासी का कारण पूछा तो कुछ देर तक सुगना मौन रही फिर उसने कृत्रिम प्रसन्नता लाने का प्रयास किया, किन्तु अश्रुधारा प्रवाहित हो गयी वह कुछ न बोल सकी, उसका कंठ रुंध गया सिसकती हुई पुत्र को पुकारने लगी ।

रामदेव जी बधावे से पूर्व ही अन्दर गये और अपनी दैवीय शक्ति से परिपूर्ण हाथ से मृत बालक को स्पर्श किया और अपने भांजे को आवाज देकर उठाने लगे । रामदेवजी के आवाज देते ही वह बालक पुनर्जीवित हो गया । रामदेव जी ने उसे अपनी गोदी में बिठा उसे खेलाने लगे, यह देख बहिन सुगना के चेहरे पर ख़ुशी कि लहर दौड़ गयी और अपने भाई रामदेव को धन्यवाद देते हुए अपने पुत्र को अपने सीने से लगा लिया ।

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