खाती को पुनर्जीवित किया
रामदेवजी का सारथीया नामक एक बाल सहचर (मित्र) था । एक दिन सवेरे खेल के समय खाती पुत्र सारथीया को अपने सखाओं के बीच नहीं देख कर रामदेवजी दौड़े हुए अपने मित्र के घर पहुंचे तथा उसकी माँ से सारथीया के बारे में पूछा तो सारथीया की माँ बिलखती हुई
कहने लगी की सारथीया अब इस संसार में नहीं रहा । वह अब केवल स्वप्न में ही मिल सकेगा । रामदेवजी सारथीया की मृत देह के पास पहुंचकर उसकी बाह पकड़ कर उठाते हुए बोले कि "हे सखा ! तूं क्यों रूठ गया ? तुम्हें मेरी सौगंध है, तू अभी उठ कर मेरे साथ खेलने को चल ।" रामदेवजी की कृपा से सारथीया उठ कर उनके साथ खेलने को चल पड़ा ।
वहां पर सभी लोग यह देख कर रामदेवजी की जय-जयकार करने लगे ।
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