मिश्री को नमक बनाया
एक समय की बात है नगर में एक लाखु नामक "बणजारा" जाति का व्यापारी अपनी बैलगाड़ी पर मिश्री बेचने हेतु आया । उसने अपने व्यापार से सम्बंधित तत्कालीन चुंगी कर नहीं चुकाया था । रामदेवजी ने जब उस बणजारे से चुंगी कर न चुकाने का कारण पूछा
तो उसने बात को यह कह कर टाल दिया कि यह तो नमक है, और नमक पर कोई चुंगी कर नहीं लगता और अपना व्यापार करने लगा यह देख कर रामदेव जी ने उस बणजारे को सबक सिखाने हेतु उसकी सारी मिश्री नमक में बदल दी।
थोड़ी देर बाद जब सभी लोग उसको मिश्री के नाम पर नमक देने के कारणरन पीट रहे थे तब उसने रामदेवजी को याद करते हुए माफ़ी मांगी और चुंगी कर चुकाने का वचन दिया ।
रामदेवजी शीघ्र ही वहां पहुंचे और सभी लोगो को शांत करवाते हुए कहा कि इसको अपनी गलती का पश्चाताप है, अतः इसे मैं माफ़ करता हूँ, और फिर से वह सारा नमक मिश्री में बदल गया ।
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