शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

हडबुजी को पर्चा


💫हडबू जी को पर्चा💫

हडबू जी सांखला रामदेव जी के मौसी के बेटे भाई थे । जब उन्होंने रामदेव जी के जीवित समाधी लेने का समाचार सुना तो वे शीघ्र ही अपने घोड़े पर सवार होकर रूणीचा की तरफ निकल पड़े । थोड़ी दूर तक जाने के बाद उन्हें एक पेड़ के नीचे रामदेव जी दिखाई दिए यह

देख हडबू जी की ख़ुशी का पार नहीं रहा और वे वहीँ उतर कर रामदेव जी के गले लग गये । हडबू जी ने जब रामदेव जी को जब जीवित समाधी की अफवाह के बारे में पूछा तब रामदेव जी ने उन्हें यह कहते हुए उत्तर दिया कि इस संसार में जितने मुंह उतनी बाते हैं, हम यह नहीं कह सकते कि कौन सत्य हैं और कौन मिथ्या । इतना कहकर रामदेव जी ने हडबू जी को रतन कटोरा और सोहन चुटिया अजमाल जी को देने के लिए कहा और कहा कि वे स्वयं घोड़ा ढूंढकर आ रहे हैं ।

हडबू जी जब रामदेव जी की दी हुई वस्तुएं लेकर रूणीचा पहुंचे तब वहां पर सभी गाँव वालों को मायूस पाया । हडबू जी ने इसका कारण पूछा तो उन गाँव वालों ने बताया कि रामदेव जी ने जीवित समाधी ले ली हैं । हडबू जी ने उन गाँव वालों की बात को काटकर उन्हें रतन कटोरा व सोहन चुटिया दिखाया जो कि रामदेव जी ने उन्हें दिया था, परन्तु गाँव वालों ने कहा कि ये रतन कटोरा व सोहन चुटिया तो रामदेव जी की जीवित समाधी के साथ ही दफना दिए थे । उसी समय तुंवरों को रामदेव जी के समाधी लेने पर भ्रम हो गया और वे इसकी वास्तविकता जानने के लिए समाधी को खोदने लगे । समाधी खोदते समय आकाशवाणी हुई और रामदेव जी बोले की आपने मेरे मना करने के बावजूद भी मेरी समाधी खोदकर मेरे विश्वास को खंडित किया हैं । इसलिए आज से आपकी आने वाली पीढ़ियों में कोई पीर नहीं होगा ।

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